भगवान बुद्ध के अनमोल वचनों के अनुसार  इस संसार में समय के अनुसार सब कुछ परिवर्तनशील अर्थात सब अनित्य है- डॉक्टर मालती झरबड़े

समाजसेविका डॉक्टर मालती झरबड़े

**सब अनित्य है**

भगवान बुद्ध के अनमोल वचनों के अनुसार  इस संसार में समय के अनुसार सब कुछ परिवर्तनशील अर्थात सब अनित्य है। बुद्ध धम्म के मार्ग पर जो भी चलते है वह यह भली भांति जानते हैं कि इस संसार में कोई भी चीज स्थाई नहीं है। जैसे कि _आयु (उम्र) धन सम्पत्ति, सुख दुःख,सम्मान अपमान, पद प्रतिष्ठा आदि बहुत सी गतिविधियां जो भी हमारे जीवन में कार्य करते रहती है। वह सब परिर्वतनशील हैं।  ये सभी घटनाए हर प्राणी जगत में होती है।  सबसे शक्तिशाली और सबसे ज्यादा दिमाग के रूप में मानव जीवन जीने वालों को माना गया है। वर्तमान में मनुष्य की औसत आयु जन्म से लेकर करीब 75 से 85 वर्ष के बीच है।अब जन्म के बाद 20 वर्ष तक तो माता पिता की छत्रछाया में मौज मस्ती में कट जाते है। 20 वर्ष से 35 वर्ष तक करियर और विवाह में समय दे देते हैं। 35 वर्ष से 65 वर्ष तक का समय जो होता है वह सही मायने में जीवन जीने का समय होता है। इस उम्र में मनुष्य को भगवान बुद्ध के अनित्य के सिद्धांत को ध्यान में रखकर जीवन जीना चाहिएं। लेकिन अफसोस इंसान इसी उम्र में हर वह काम करता है जो उसे नही करना चाहिए। जैसे जलन, ईर्ष्या,नफरत ,अपमान,,भेदभाव,और एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं। खुद का कभी आंकलन नही करते हैं। इसी कारण मनुष्य अपने इस उम्र के पड़ाव में हमेशा तनाव में रहता है। जबकि इस उम्र में मनुष्य को समता भाव रखते हुए जीवन जीना चाहिएं। क्योंकि सबकुछ अनित्य है। आज है कल नही है। यही परम सत्य है। बाकि के उम्र के 65 वर्ष से 85 वर्ष तक तो शरीर रूपी मशीन कमजोर होने लगती है।जो इस उम्र में पहुंच गए हैं वे अतीत की अच्छी, बुरी यादों को याद करते हुए। जीवन को सिर्फ काटते है। और कुछ तो इस उम्र तक पहुंच भी नही पाते है विभिन्न दुर्घटनाओं, बीमारियो का शिकार हो जाते है।बुरा बर्ताव करके खुद को परेशान करके बीमारी को बढ़ावा देते है, ऐसे लोग रोज मरकर जीते है,फिर भी हरकते कभी नही छोड़ सकते है कभी सुखी नही रह सकते जो खूब पाई पाई करके पैसे जोड़ते है और डॉक्टरों के पास दौड़ लगाते, पर बाज नही आते,,,,,,,,,,


**सारांश _यहां कोई भी अमृत पीकर नही आया है एक दिन सभी को जाना ही है।ये हमारा छोटा सा जीवन है। यहां सभी का वापसी का टिकिट पक्का है। आज जिस तरह से दुसरो का अपमान,नफरत करके  आप खुश हो रहे हो यह खुशी छन भंगुर हैं। इससे सामने वाले को कोई नुकसान नहीं होता है बल्कि आप ख़ुद ही तनाव में रहते हो। और अपने जीवन के अनमोल दिनों को नष्ट कर रहे हो।इसलिए अपने जीवन का आंकलन करते हुए एक सार्थक जीवन जिए। क्योंकि यह जीवन अनित्य के सिद्धांत पर आधारित है।

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